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कुंवर महेंद्र सिंह वेदी 'सहार' की ग़ज़ल काव्य के मुख्य विषय

(کنورمہندرسنگھ بیدی سحرؔ لیہ اعری اہم موضوعات)

डॉ. शोभा सक्सेना

अनुबिस पीजी कॉलेज, मीरगंज, बरेली, यूपी, भारत

संबंधित लेखक: sobhasaxena 9457678401@gmail.com

 

  डीओआई: 10.52984/ijomrc2103

सार

कुंवर महेंद्र सिंह बेदी "सहार" की प्रतिबद्धता भारत की क्रांति रही है। तहरीक की आज़ादी की लड़ाई दिन-ब-दिन अटूट होती जा रही थी। तहरीक और तंजीम के प्रति उत्साही अलग-अलग थे। इसलिए, स्वतंत्रता की लहर और भारतीय लोगों की स्वतंत्रता की भावना उठी थी। इकबाल और उनके मुहासरीन लोगों को तथ्यों से बाहर निकालकर उत्साह और उत्साह पैदा करने में सक्षम थे। महेंद्र सिंह बेदी ने इतने खूबसूरत समय में अपनी आंखें खोली थीं। जमाने और माहौल में खुलेपन और दर्द के शब्द थे, लेकिन जब शेरी व्यक्तित्व परवान चढ़ा तो उन्होंने निजामे मशर्ट और हिंदुस्तानी राजनीति में फर्क कर दिया। आसुरी और हाईप्रोफाइल मुर्दब्बर की हैसियत से आपने अपने कलाम को स्वीकार किया है, प्रेम और प्रेम को, राष्ट्रीय आस्था को, मानवीय मित्रता को अपनी शायरी में राजनीतिक और सामाजिक स्थिति से जोड़ा है, बेदी खुद मन में व्यक्त करती थीं उसकी शेरी उपस्थिति के।

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